इक तमना है जीवन की निधि वन रात बिताऊसमाने श्याम हॉवे फिर चाहे मैं मर जाऊ,चाहे मैं मर जाऊ चाहे मैं मर जाऊ,समाने श्याम हॉवे फिर चाहे मैं मर जाऊ, निधि वन की सब लता पताये,देख श्याम को नित हरषाए,मुझपर मोहन रीज गए तो मैं भी नित हरषाऊ,समाने श्याम हॉवे फिर चाहे मैं मर जाऊ, रंग मेहल की छटा सुहाएरास …
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