एक बार अकबर बादशाह के उस्ताद पीर साहब मक्का से चलकर दिल्ली आए। रास्ता न जानने की वजह से उन्हें बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। अकबर बादशाह ने उनकी बड़ी आवभगत की। कुछ दिन आनन्द लेकर पीर साहब मक्का लौट गए।ज्ब पीर साहब चले गए तो अकबर बादशाह ने बीरबल से पूछा – ‘बीरबल! क्या तुम्हारे भी कोई …
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कोई भी काम छोटा नहीं होता!!
गर्मी की तपतपाती धूप मे कुछ मजदूरों से एक बङे यंत्र को गाङी पर लदवाया जा रहा था, यंत्र काफी बड़ा व् भारी था, और मजदूरों के अथक परिश्रम करने के बावजूद भी यंत्र गाङी मे लादा नही जा पा रहा था। कुछ अधिकारी खङे होकर केवल मजदूरों को कोस रहे थे। और कुछ बता रहे थे, कि ऐसे नही ऐसे करो। पर कोई भी अधिकारी उनके …
Read More »लगन सच्ची और इरादे बुलंद हों तो सब कुछ संभव है ~ विल्मा रुडोल्फ!!
खेल की कक्षा शुरू हुई तो एक दुबली-पतली लड़की किसी तरह अपनी जगह से उठी। वह शिक्षक से ओलिंपिक रेकॉर्ड्स के बारे में सवाल पूछने लगी। इस पर सभी छात्र हंस पड़े। शिक्षक ने व्यंग्य किया-‘तुम खेलों के बारे में जानकर क्या करोगी। अपने ऊपर कभी नजर डाली है। तुम तो ठीक से खड़ी भी नहीं हो सकती, फिर ओलिंपिक से तुम्हें क्या मतलब? तुम्हें कौन सा खेलों में भाग लेना है जो यह सब जानना चाहती हो।’ रुआंसी लड़की कुछ भी कह न सकी। सारी क्लास उस पर देर तक हंसती रही। अगले दिन जब खेल पीरियड में उसे बाकी बच्चों से अलग बिठाया गया तो उसने कुछ सोचकर बैसाखियां संभालीं और दृढ़ निश्चय के साथ बोली- “सर याद रखिएगा, अगर लगन सच्ची और इरादे बुलंद हों तो सब कुछ संभव है। आप देख लेना, एक दिन यही लड़की सारी दुनिया को हवा से बातें करके दिखाएगी।” उसकी इस बात पर भी समवेत ठहाका गूंज उठा। उस वक्त सबने इसे मजाक के रूप में लिया। लेकिन वह लड़की तेज चलने के अभ्यास में जुट गई। वह अच्छी और पौष्टिक खुराक लेने लगी, फिर वह कुछ दिनों में दौड़ने भी लगी। कुछ दिनों के बाद उसने छोटी-मोटी दौड़ में भाग लेना भी शुरू कर दिया। उसे दौड़ते देख लोग दांतों तले उंगली दबा लेते थे। तभी कई लोग उसकी मदद के लिए आगे आए। सबने उसका उत्साह बढ़ाया। उसके हौसले बुलंद होने लगे। फिर उसने 1960 के ओलिंपिक में हिस्सा लिया और तीन स्वर्ण पदक जीतकर सबको हतप्रभ कर दिया। जानते हैं ओलिंपिक में इतिहास रचने वाली वह लड़की कौन थी? वह अमेरिकी धाविका विल्मा रुडोल्फ थी।
Read More »जिद पर अड़े बच्चे को समझाना बच्चों का खेल नहीं!!
एक दिन बीरबल दरबार में देर से पहुंचे। जब बादशाह ने देरी का कारण पूछा तो उन्होंने बताया, ‘मैं क्या करता हुजूर! मेरे बच्चे आज जोर-जोर से रोकर कहने लगे कि दरबार में न जाऊं। किसी तरह उन्हें बहुत मुश्किल से समझा पाया कि मेरा दरबार में हाजिर होना कितना जरूरी है। इसी में मुझे काफी समय लग गया और इसलिए मुझे …
Read More »तीन रूपये: तीन सवाल – अकबर और बीरबल की कहानियाँ!!
एक दिन अकबर बादशाह के दरबारियों ने बादशाह से शिकायत की – ‘हुजूर! आप सब प्रकार के कार्य बीरबल को ही सौंप देते हैं, क्या हम कुछ भी नहीं कर सकते?’बादशाह ने कहा – ‘ठीक है….मैं अभी इसका फैसला कर देता हूं।’उन्होंने एक दरबारी को बुलाया और उससे कहा – ‘मैं तुम्हें तीन रूपये देता हूं। इनकी तीन चीजें लाओं। …
Read More »मौत का भय !!
पद्म पुराण में कहा गया है, ‘जो जन्म लेता है, उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए मृत्यु से भयभीत होने की जगह सत्कर्मों के माध्यम से मरण को शुभ बनाने के प्रयास करने चाहिए।’ जैन संत आचार्य तुलसी एक बोधकथा सुनाया करते थे एक मछुआरा समुद्र से मछलियाँ पकड़ता और उन्हें बेचकर अपनी जीविका चलाता था। एक दिन एक वणिक उसके …
Read More »रेत से चीनी अलग-अलग – अकबर और बीरबल की कहानियाँ!!
बादशाह अकबर के दरबार की कार्यवाही चल रही थी, तभी एक दरबारी हाथ में शीशे का एक मर्तबान लिए वहां आया।‘‘क्या है इस मर्तबान में ?’’ पूछा बादशाह ने।वह बोला, ‘‘इसमें रेत और चीनी का मिश्रण है।’’ ‘‘वह किसलिए ?’’ फिर पूछा अकबर ने।‘‘माफी चाहता हूँ हुजूर,’’ दरबारी बोला, ‘‘हम बीरबल की काबलियत को परखना चाहते हैं। हम चाहते हैं …
Read More »बिना काटे ही छोटा करना – अकबर और बीरबल की कहानियाँ !!
एक दिन अकबर व बीरबल बाग में सैर कर रहे थे। बीरबल लतीफा सुना रहा था और अकबर उसका मजा ले रहे थे। तभी अकबर को नीचे घास पर पड़ा बांस का एक टुकड़ा दिखाई दिया। उन्हें बीरबल की परीक्षा लेने की सूझी।बीरबल को बांस का टुकड़ा दिखाते हुए वह बोले, ‘‘क्या तुम इस बांस के टुकड़े को बिना काटे …
Read More »तपस्विनी की स्वदेश निष्ठा !!
पेशवा नारायणराव की पुत्री सुनंदा ने अपनी बुआ रानी लक्ष्मीबाई की तरह अंग्रेजों की सत्ता को चुनौती देकर निर्भीकता का परिचय दिया। सुनंदा को अंग्रेजों ने त्रिचनापल्ली की जेल में बंद कर दिया । वहाँ से मुक होते ही वे एकांत में भक्ति-साधना करने नैमिषारण्य जा पहुँचीं। वहाँ वे परम विरक्त संत गौरीशंकरजी के संपर्क में आईं। संतजी सत्संग के …
Read More »कौवों और उल्लुओं की शत्रुता की कथा – जातक कथाएँ !!
कौवों और उल्लुओं की शत्रुता बड़ी पुरानी है। मगर कितनी पुरानी और क्यों है इसका विचार कम ही लोगों ने किया अथवा करना चाहा। बौद्ध परम्परा में उपर्युक्त दो शत्रुओं के वैमनस्य की एक कथा प्रचलित है। यहाँ वही कथा एक बार फिर सुनाई जा रही है। सम्बोधि प्राप्त करने के बाद बुद्ध जब श्रावस्ती स्थित जेतवन में विहार कर …
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