गोकुल वही है, मधुबन वही है यशोधा की आंकोंका तारा नही है…… नचाएगा आब कौन रास रचाकर डिकाएगा आब कौन ज्योति जलाकर जगाएगा आब कौन मुरली भाजकर नंद भवन का उज्जला नही है……. ना वो…. चाँदनी मे निराली चटा है ना वो बदकारके आती हाई…. हू यमुना मे ऐसी, तरंगे नही है बहकता हुवा वो किनारा नही है….. [To English …
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