जय जय बजरंगी महावीर तुमबिन को जन की हरे पीर अतुलित बलशाली तव काया , गति पिता पवन का अपनाया शंकर से देवी गुन पाया शिव पवन पूत हे धीर वीर जय जय बजरंगी महावीर —– दुखभंजन सब दुःख हरते हो , आरत की सेवा करते हो , पलभर बिलम्ब ना करते हो जब भी भगतन पर पड़े भीर जय …
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