जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले… तो काल आया और जैसे ही काल आया … तो गीधराज जटायु ने मौत को ललकार कहा, — “खबरदार ! ऐ मृत्यु ! आगे बढ़ने की कोशिश मत करना… मैं मृत्यु को स्वीकार तो करूँगा… लेकिन तू मुझे तब तक नहीं छू सकता… जब तक मैं सीता जी की सुधि प्रभु …
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राम सुमिर राम सुमिर
राम सुमिर, राम सुमिर, यही तेरो काज है .. माया को संग त्याग, हरिजू की शरण लाग . जगत सुख मान मिथ्या, झूठो सब साज है .. १.. सपने जो धन पछान, काहे पर करत मान . बारू की भीत तैसे, बसुधा को राज है .. २.. नानक जन कहत बात, बिनसि जैहै तेरो दास . छिन छिन करि गयो …
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