हम को अपना सुधार करना चाहिये। हमारे द्वारा अब ऐसा कोई काम नहीं होना चाहिये, जो हमें खतरे में डालने वाला हो। भाव ऊंचा बनायें। भाव अपना है, अपने अधिकार की बात है। फिर कमी क्यों रहने दें। अनिच्छा- परेच्छा से जो कुछ आकर प्राप्त होता है वह हमारा प्रारब्ध है। कोई भी काम करें उस में ऊंचे-से-ऊंचा भाव रखें। …
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शिक्षाप्रद कहानियां- सदा दुःखी रहता है समय गंवाने वाला
किसी गांव में एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत ही भला था लेकिन उसमें एक दुर्गुण था वह हर काम को टाला करता था। वह मानता था कि जो कुछ होता है भाग्य से होता है। एक दिन एक साधु उसके पास आया। उस व्यक्ति ने साधु की बहुत सेवा की। उसकी सेवा से खुश होकर साधु ने पारस पत्थर …
Read More »तेरा मान मे राम तन मे राम
रोम रोम मे, राम राय राम सुमीर ले, ध्यान लगले छोड़ जगत के, काम राय बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम (2) माया मैं तू, उलजा उलजा, धार धार भूल उड़ाए अब क्यू करता, मान भारी जब, माया साथ छुड़ाए,(2) दिन तो बिता, दौड़ धूप मैं, ढाल जाए ना शाम रे, बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम …
Read More »जिस धाम मे जिस काम मे जिस नाम मे रहो
राधा रमण राधा रमण राधा रमण कहो.3 जिस धाम मे जिस काम मे जिस नाम मे रहो राधा रमण राधा रमण राधा रमण कहो.3 जिस रंग मे जिस संग मे जिस ढंग मे रहो राधा रमण राधा रमण राधा रमण कहो.3 जिस रोग मे जिस भोग मे जिस योग मे रहो राधा रमण राधा रमण राधा रमण कहो.3 जिस देह …
Read More »बोले बोले हनुमान बोलो भक्तो सिया राम
बोले बोले हनुमान बोलो भक्तो सिया राम श्री राम के चर्नो मे बनते बिगड़े काम श्री राम के चर्नो मे बनते बिगड़े काम बोले बोले हनुमान बोलो भक्तो सिया राम बोले बोले हनुमान बोलो भक्तो सिया राम उसकी शोभा है विष्णु मे उसकी शोभा है मोहन सी उसकी शोभा है विष्णु मे उसकी शोभा है मोहन सी तुलसी ने जब …
Read More »मेरे दुख के दीनो मेी वो बड़े काम आते है, जब कोई नही आता मेरे श्याम आते है,
मेरे दुख के दीनो मेी वो बड़े काम आते है, जब कोई नही आता मेरे श्याम आते है, मेरे दुख के दीनो मेी वो बड़े काम आते है, जब कोई नही आता मेरे श्याम आते है, मेरी नैया चलती है, पतवार नही होती, किसी और की अब मुझको दरकार नही होती, मेरी नैया चलती है, पतवार नही होती, किसी और …
Read More »क्या बनेंगे ये ?
यूनिवर्सिटी के एक प्रोफ़ेसर ने अपने विद्यार्थियों को एक एसाइनमेंट दिया। विषय था मुंबई की धारावी झोपड़पट्टी में रहते 10 से 13 साल की उम्र के लड़कों के बारे में अध्यन करना और उनके घर की तथा सामाजिक परिस्थितियों की समीक्षा करके भविष्य में वे क्या बनेंगे, इसका अनुमान निकालना। कॉलेज विद्यार्थी काम में लग गए। झोपड़पट्टी के 200 बच्चो के घर की पृष्ठभूमिका, …
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