कान्हा सब तम अब हर लीजो कान्हा सब तम अब हर लीजो,चहुँ दिसि ब्यापत घोर अँधेरा,गोविन्द नया सबेरा कीजो,कान्हा सब तम————— सब अपने छूटे सपने टूटे,हरि धाय हाथ धर लीजो,कान्हा सब तम ————— इक आश तुम्ही विश्वाश तुम्ही,अब नव उमंग भर दीजो,कान्हा सब तम ————- बिचलित मन नहि सुमिरै कान्हा,मोरे मन मंदिर घर कीजो,कान्हा सब तम ———— भगतो के हिरदये …
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