थोडा सा माखन खिला दो न राधा,मांगू न फिर तुमसे करू न वाधा मटकी को हाथ लगाने न दूंगीकन्हैया माखन न खाने दूँगी रोज रोज माखन चुराते हो कान्हाफोड़ दूंगा मटकी जो दो गे न राधा,मटकी के पास तुम्हे आने न दूंगीकन्हैया माखन न खाने दूँगी मुरली बजाते तुम मटकी गिराते आता हैमजा जब तुम को सताते,माखन का स्वाद तुम्हे …
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