हम ने सुना है शाम, विदुर को तारा भाजी का करके बहाना, शाम हुमको भी तरू.. हम ने सुना है शाम, अर्जुन को तारा गीता का करके बहाना, शाम हुमको भी तरू.. हम ने सुना है शाम, केवट का तारा गंगका करके बहाना, शाम हुमको भी तरू.. हम ने सुना है शाम, मीयर्रा का तारी ज़हर का करके बहाना, शाम …
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देखली आँखो से,तेरी बेवफ़ाई
बृंदावँ सुनू कारगायू कृष्णा कहनाइरीए ब्रज की बालाए सारी, रू रू पुकारती विरहा की मारी देखी…. शाम को पुकारती ||ब्रज||| दो दिन का वधा करके… सुध बिसलाईरे……||बृंदावँ|| जानता टुकड़ा करके, जीवन मे आई क्यों प्रेमबरिबतिया करके.. मान को लुभाया क्यों ||जेया|| योग की पदाई पतिया… शरमा ना आइरी..||ब्रीन|| आजा भेदर्धी आजा…राधा पुकार थी बावरी सी डोले वाँ मे, शाम को …
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