रास रचिया सावरे , मनमोहन गोपाल ,लाज भक्त की राखते , माधव दीन दयाल| करके दर्शन परशन हुई , हुआ हृदय में उजियालापत्थर के माह दिया दिखाई , मने मोहन मुरली वालाहे री मन मोहन मुरली वाला……….. लोक लाज कुल की मर्यादा , तोड़ बगादी सर कीकुटुम्ब काबिल त्याग दिया , में तो बनी भक्तणी हर कीसेवा करके गिरधर की …
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