क्या बैकुंठ क्या स्वर्ग का करना, मुझको जान से प्यारा,खाटू धाम हमारा, हो खाटु धाम हमारा…….. इसके आगे फीका लगता,है हर एक नज़ारा, खाटु धाम हमारा,खाटु धाम हमारा।। खाटू की धरती पावन,जहाँ बाबा का है बसेरा, मेरा तो स्वर्ग वही पे,जहाँ श्याम धणी का डेरा, इससे सुन्दर कुछ भी नहीं है,इससे सुन्दर कुछ भी नहीं है, देख लिया जग …
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