क्यों सजते हो कन्हैया तुम तेरा दीदार काफी हैहमें दीवाना करने को नज़र का वार काफी हैक्यों सजते हो कन्हैया तुम……………….. क्या उबटन केशरी जलवा क्यों चन्दन से सजे हो तुमकी ब्रिज की धुल में जुसरित तेरा श्रृंगार काफी हैक्यों सजते हो कन्हैया तुम……………….. क्यों माथे स्वर्ण मानक और बहुमूलक मुकुट राखोवो घुंघराले घने केशव पे मोर की पाख काफी …
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