दो छात्र थे, वो ज्योतिष विद्या में पारंगत एक गुरु से शिक्षा लेकर लौटे थे। उन्हें आजीविका की तलाश थी। दोनों ही ज्योतिष विद्या में पारंगत थे। घर जाते समय वह एक गांव में ठहरे, गांव के कुछ लोग मिलने आए। वे सभी अपने भविष्य के बारे में जानना चाहते थे। एक वृद्ध महिला ने पहले छात्र से पूछा, ‘मेरा …
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खोटे सिक्के भी हो जाते हैं अमर
निजामुद्दीन औलिया के एक शिष्य थे, उन्हीं की तरह त्याग और सादगी भी उन्हें पसंद थी। वे सब्जी उबाल कर बेचते थे और अपनी जीविका चलाते थे। गांव वाले श्रद्धावश सस्ती सब्जियां दे जाते और उन्हें वे उबाल कर ग्राहकों को खिलाते और थोड़ा बहुत धन अर्जित करते। इसके साथ ही सुबह-शाम प्रवचन भी करते। लेकिन लोग उन्हें खोटे सिक्के …
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