आप भी आना संग ग्वालों को भी लाना आकर माखन खाना हमारे कीर्तन मे आप भी . संग अर्जुन को भी लाना आकर ज्ञान सीखना हमारे कीर्तन मे आप भी आना संग मीयर्रा को भी लाना आकर भक्ती सीखना हमारे कीर्तन मे [To English Wish4me] Aap Bhi Aana Sang Gvalon Ko Bhi Lana Aakar Maakhan Khana Hamare Kirtan Me Aap …
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जाई जाई राधा रमण हरी बोल
दोहा: अपने हरि को हम दूंढ लीओ, जिन लाल अमोलक लाख मे | हरि के अंग अंग मे नरमी है जितनी, नरमी नाही वैसी माखन मे || छवि देखत ही मै तो झाकी रही, मेरो चित चुरा लीओ झांकन मे | हियरा में बसो, जियरा में बसो, प्यारी-प्यारे बसो दऊ आखन में || लाडली-लाल बसो, श्यामा-श्याम बसो दऊ आंखन में …
Read More »राम कृष्ण कहिये उठि भोर
हे राम, राम, राम राम राम, मेरे राम, मेरे रामराम कृष्ण कहिये उठि भोर राम कृष्ण कहिये उठि भोर राम कृष्ण कहिये उठि भोर राम कृष्ण कहिये उठि भोर राम राम राम कृष्ण कहिये उठि भोर अवध ईश ये धनुष धरे हैं वो बृज माखन चोर अवध ईश ये धनुष धरे हैं वो बृज माखन चोर राम, हरे राम राम …
Read More »आओ, कृष्ण कन्हैया, हमारे घर आओ
आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई जो चाहो सो खाओ आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई रुचि रुचि भोग लगाओ आप भी आओ सब गोपियन को लाओ मेरे आँगन में तुम रास रचाओ आँगन में मेरे तुम रास रचाओ आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई जो चाहो सो …
Read More »आओ, कृष्ण कन्हैया, हमारे घर आओ
आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई जो चाहो सो खाओ आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई रुचि रुचि भोग लगाओ आप भी आओ सब गोपियन को लाओ मेरे आँगन में तुम रास रचाओ आँगन में मेरे तुम रास रचाओ आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई जो चाहो सो …
Read More »छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल
छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल । छोटो सो मेरो मदन गोपाल ॥ आगे आगे गैया पीछे पीछे ग्वाल। बीच में मेरो मदन गोपाल॥ कारी कारी गैया, गोरे गोरे ग्वाल। श्याम वरण मेरो मदन गोपाल॥ घास खाए गैया, दूध पीवे ग्वाल। माखन खावे मेरो मदन गोपाल॥ छोटी छोटी लकुटी, छोटे छोटे हाथ। बंसी बजावे मेरो मदन गोपाल॥ प्यारी प्यारी गोपियां …
Read More »को माता को पिता हमारे
को माता को पिता हमारे । कब जनमत हमको तुम देख्यो, हँसी लगत सुन बैन तुम्हारे । कब माखन चोरी कर खायो, कब बांधे महतारी । दुहत कौन सी गइया चारत, बात कही जे भारी । तुम जानत मोहि नंद ढ़िठौना, नंद कहा ते आये ।। हम पूरन अविगत अविनासी, माया ठगनी भुलाये । ये सुन ग्वालिन सब मुस्कानी, हरष …
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