माखन चुराता था वो अब मन चुराता है,हर लेता मन जिसका वो ही तर जाता है।। जब अष्टमी की रात जग जनम मनाता है,तब मथुरा दुल्हन सा पूरा सज जाता है,और तन जब गोवर्धन में चलता जाता है,मन गोकुल वृन्दावन ही घूम आता है।।माखन चुराता था वो अब मन चुराता है,हर लेता मन जिसका वो ही तर जाता है।। दीखता …
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