ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां | किलकि किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय | धाय मात गोद लेत, दशरथ की रनियां || अंचल रज अंग झारि, विविध भांति सो दुलारि | तन मन धन वारि वारि, कहत मृदु बचनियां || विद्रुम से अरुण अधर, बोलत मुख मधुर मधुर | सुभग नासिका में चारु, लटकत लटकनियां || तुलसीदास अति आनंद, देख …
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माधुर्य रस में
श्रीकृष्ण में निष्ठा, सेवाभाव और असंकोच के साथ ममता एवं लालन भी रहता है । मधुर रस में पांचों रस हैं, जिस प्रकार आकाशादि भूतों के गुण क्रमश: अन्य भूतों से मिलते हुए पृथ्वी में सब गुण मिल जाते हैं, इसी प्रकार मधुर रस में भी सब रसों का समावेश है । रस रूप श्रीकृष्ण की लीलाएं माधुर्य रस में …
Read More »भगवान की न्यायकारिता एवं दयालुता
भगवान दयालु हैं या न्यायकारी हैं । हम तो यह मानते हैं कि वे दयालु भी हैं, न्यायकारी भी हैं । दो बात एक जगह कैसे रह सकती है ? मनुष्य में भी रह सकती है, फिर भगवान में रहनी कौन कठिन बात है । जब न्याय ही करते हैं, कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं तब दया क्या …
Read More »आध्यात्मिक रहस्य
यह सुदामा कौन हैं ? उनकी पत्नी कौन हैं ? वे तन्दुल कौन से हैं ? इत्यादि । यदि अंत:प्रविष्ट होकर देखा जाएं तो सुदामा की कथा में एक आध्यात्मिक रूपक है – भक्त और भगवान के परस्पर मिलन की एक मधुर कहानी है । इसी रहस्य का किच्छित उद्घाटन थोड़े में किया जाएंगा । ‘दामन’ शब्द का अर्थ है …
Read More »आरती बाला कृष्णा जी की
अपनो जानम सफल कर्ध्ी जे श्री यशोदा को, परम दुलारो, बाबा की अकियाँ को तरो गोपीन के प्राणं से प्यारो, एन पर प्राण नोचावार कीजे बलि धाऊ को छोटू भैया, कांवा कहे बुलवती मैया परम मूढ़ीता माना लेत बलैया ई छवि नैनन मे, भर लीजे श्री राधवार सुभर कन्हैया, ब्रिज जान को नवनीत कवैया डेकाट ही मान, कैसे चुरैया अपनो …
Read More »माँ :ईश्वर का भेजा फ़रिश्ता (Mother is the messenger of god)
एक समय की बात है, एक बच्चे का जन्म होने वाला था. जन्म से कुछ क्षण पहले उसने भगवान् से पूछा : ” मैं इतना छोटा हूँ, खुद से कुछ कर भी नहीं पाता, भला धरती पर मैं कैसे रहूँगा, कृपया मुझे अपने पास ही रहने दीजिये, मैं कहीं नहीं जाना चाहता.” भगवान् बोले, ” मेरे पास बहुत से फ़रिश्ते हैं, …
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