मैं भानु लली की दया चाहता हूँअटारी की ताजी हवा चाहता हू भटकता रहा हूँ मैं दुनिया के दर पर,अब चौखट पे तेरी पनाह चाहता हूँ, के सुना है तेरा दर है ,जन्नत का दरियापहुचने का शामया तुम्ही एक जरिया यही एक तुमसे वफ़ा चाहता हूँमैं अटारी की ताजी हवा चाहता हूँ के दयालू हो थोड़ी दया मुज पे …
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