ब्रज जैसी भूमि नहीं,ब्रज जैसो नहीं प्यार,बृज जैसी भक्ति नहीं,जैसे मुक्ति करे यह विचार,ब्रज वन की लकड़ी बनूँ,बृज की बनूँ मैं धुल,पड़ी रहूं दिन रात मैं,श्री जमुना जी के कूत,भजन करूँ दिन रात मैं,बन संतन को दास,बृज भूमि प्यारी लगे,सदा करूँ बृज वास। मैं बृज का मोर बनूँ,गाऊं राधे राधे,गाऊं राधे राधे,मैं गाउँ श्यामा श्यामा,मैं बृज का मोर बनूँ,गाऊं राधे …
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