मैं तो अपने मोहन की प्यारी साजन मेरो गिरधारी, कौन रूप कौन रंग अंग शोभा काहू सखी,काबू न देखि शवि वो निराली है,तन मन धन वारी संवारी सूरत वारी,माधुरी मूरत तीनो लोक से प्यारी है,मुकुट लटक थारो लगे मत वालो है,तेन सेन बेन जग उझारो है,एसो है मेरो गिरधारी,मैं तो अपने मोहन…………. आके माथे पे मुक्त देख चंद्रिका चटक देख,तेरी …
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