तात, यदि तुम जन्म मरण के चक्र से मुक्त होना चाहते हो तो जिन विषयो के पीछे तुम इन्द्रियों की संतुष्टि के लिए भागते फिरते हो उन्हें ऐसे त्याग दो जैसे तुम विष को त्याग देते हो. इन सब को छोड़कर हे तात तितिक्षा, ईमानदारी का आचरण, दया, शुचिता और सत्य इसका अमृत पियो. वो कमीने लोग जो दूसरो की …
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आओ मनमोहना, आओ नंदनंदना
आओ मनमोहना, आओ नंदनंदना गोपियों के प्रंधूं, राधाजी के रमना—2 लालन एक विनय सुनिए-2 अब मेरी गलियाँ करके, हँसत टर सुनाए गाईएना गाइए तो आधारो धरके, मुरली, यह मंद बजाईएना सराईए ना अर प्रेम विरह——-2 पुनी आइए टीवी, फिर जाइएना आओ मनमोहना– —————— कजरारी तेरी आँखों मई, मेरे श्याम, मेरे कनहीा ——-2 कजरारी तेरी आँखों मई, क्या भरा हुया कुछ …
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