आए जो माँ के दरवार, पाए वो माता का प्यार जीवन के कष्टों से छूटे हो जाए भवपार मैया तुझसा है कोई कहाँ है पर्वत पे मैया ने आसन जमाया, अजब रूप ये माँ ने जग को दिखाया । जब सज गई लाल रंग में भवानी, तिलक बीच माथे पे माँ ने सजाया, अनूठे ढंग से सजी मेरी माँ ॥ …
Read More »Tag Archives: mata
रुतवा तेरी शक्ति का सारे संसार में
रूतवा तेरी शक्ति का, सारे संसार में, सारे संसार में, आज भी है और कल भी रहेगा । चर्चा यही माँ, तेरा एक में हजार में, एक में हजार में आज भी है और कल भी रहेगा ॥ रुतवा तेरी शक्ति का… जो सच्ची श्रद्धा से शरण में तेरी आता है, होकर निहाल मैया गीत खुशियों के गाता है । …
Read More »घनन घनन घन घंटा वाजे चामुंडा के द्वार पर
घनन घनन घन घंटा वाजे चामुंडा के द्वार पर रुकी जहां पर काल रात्रि चण्ड मुण्ड को मारकर घनन घनन घन घंटा वाजे… निर्मल जल की धारा में पहले आकर इश्नान करो ज्योत जलाकर मन मंदिर में अंबे माँ का ध्यान धरो वरदानी से मांगों वर तुम दोनों हाथ पसार कर रुकी जहां पर काल रात्रि चण्ड मुण्ड को मारकर …
Read More »बल्ले बल्ले मैं मैया द फ़कीर हो गया
बल्ले बल्ले मैं मैया द फ़क़ीर हो गया, ओहदे रंगां विच रंगी तस्वीर हो गया, १. नाम वाले रंग विच मैनू दिता रंग माँ, इस तों इलावा मेरी होर कोई मंग ना, मिली नाम वाली दौलत अमीर हो गया, बल्ले बल्ले मैं मैया द……., २. लोकी मैनू आखदे ने हो गया शुदाई ऐ, अपनी ना होश, होश जग दी भुलाई …
Read More »सुनले तूँ मेरी पुकार
माता.. माता.. माता.. माता.. माता.. माता… सुनले तूँ मेरी पुकार हो… सुनले तूँ मेरी पुकार,माता मैं तो घिरा हूँ, घोर पाप में सुनले तूँ मेरी पुकार…। जाऊँ कहाँ मैं, कौन है मेरा माई ,तूँ ही बता दे । किसको सुनाऊँ, दुःख की कहानी माई अपना पता दे ॥ ढूँढूँ कहाँ मैं तेरा द्वार , माता मैं तो घिरा हूँ घोर …
Read More »जो भी माँ की भक्ति का दीवाना होता है
जो भी माँ की भक्ति दीवाना होता है वो हमेशा हर ग़म से बेगाना होता है सुबह-शाम श्रद्धा से जो ले माँ का नाम पल में ही बनते उसके बिगड़े हुए काम जो न पूजे माँ को वो अनजाना होता है वो हमेशा हर ग़म से बेगाना होता है। जो भी माँ की भक्ति का दीवाना होता है वो हमेशा …
Read More »भगवान शिव का सुरेश्वरावतार
व्याघ्रपाद मुनि के पुत्र का नाम था उपमन्यु । उन्होंने पूर्वजन्म में ही सिद्धि प्राप्त कर ली थी और वर्तमान जन्म में मुनिकुमार होकर प्रकट हुए थे । ये शैशवावस्था से ही अपनी माता के साथ अपने मामा के साथ अपने मामा के घर में रहते थे और दैववश दरिद्र थे । एक दिन उन्होंने अपनी माता से पीने के …
Read More »दो मित्र भक्त (Two friends devotee)
कुरुक्षेत्र में दो मित्र थे – एक ब्राह्मण और दूसरा क्षत्रिय । ब्राह्मण का नाम पुण्डरीक और क्षत्रिय का अंबरीष । दोनों में गाढ़ी मित्रता थी । खाना पीना, टहलना सोना एक ही साथ होता था । जवान उम्र में पैसे पास हो और कोई देख – रेख करने वाला न हो तो मनुष्य को बिगड़ते देर नहीं लगती । …
Read More »द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अर्चा विग्रह – 2) श्री मल्लिकार्जुन
दक्षिण भारत में तमिलनाडू में पाताल गंगा कृष्णा नदी के तट पर वृपवित्र श्रीशैल पर्वत है, जिसे दक्षिण का कैलास कहा जाता है । श्रीशैल पर्वत के शिखर दर्शन मात्र से भी सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और आवागमन के चक्र से मुक्ति मिल जाती है । इसी श्रीशैल पर भगवान मल्लिकार्जुन का ज्योतिर्मय लिंग स्थित है । मंदिर …
Read More »प्रथम पूज्य श्रीगणेश जी
यज्ञ, पूजन, हवनादि के समय पहले किस देवता की पूजा की जाय?’ इस प्रश्न पर देवताओं में मतभेद हो गया। सभी चाहते थे कि यह सम्मान मुझे मिले। जब आपस में कोई निपटारा न हो सका, तब सब मिलकर ब्रह्माजी के पास गये, क्योंकि सबके पिता-पितामह तो ब्रह्मा जी ही हैं और सत्पुरुष बड़े-बूढों की बात अवश्य मान लिया करते …
Read More »