मेरा झूठा नाम लगाया री मैया, मैं नहीं माखन खाया,मैं उठा सवेरे वन में गऊ चराने आया मैया ॥ बात करै माखन की, मैं फिरूँ हूँ भूखा प्यासा,मैं ऊखल से बंधवाया री, मैया मैं नहीं माखन खाया,मेरा झूठा नाम……… ये सखियां मथुरा जाती, मुझको है रोज चिढाती,तेरा कान्हा बहुत सताया री, मैया मैं नहीं माखन खाया,मेरा झूठा नाम…… यमुना तट …
Read More »