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Tag Archives: Moral story in Hindi

शेखचिल्ली की कहानी : रेल गाड़ी का सफर!!

शेखचिल्ली काफी चंचल स्वभाव का था। वो किसी भी जगह ज्यादा वक्त तक नहीं टिकता था। ठीक ऐसा ही उसकी नौकरी के साथ भी था। काम पर जाने के कुछ दिनों बाद ही उसे कभी नादानी तो कभी किसी शैतानी और कभी कामचोरी के कारण नौकरी से निकाल दिया जाता था। बार-बार ऐसा होने पर शेख के मन में हुआ …

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सिंहासन बत्तीसी की सत्रहवीं कहानी – विद्यावती पुतली की कथा!!

राजा भोज एक बार फिर सिंहासन पर बैठने की इच्छा लेकर राजमहल पहुंचे। इस बार सिंहासन से 17वीं पुतली विद्यावती बाहर निकली और राजा भोज को सिंहासन पर बैठने से रोक दिया। 17वीं पुतली विद्यावती ने कहा, “सिंहासन पर बैठने से पहले राजा विक्रमादित्य की यह कहानी सुन लो।” इतना कहकर 17वीं पुतली ने विक्रमादित्य का किस्सा सुनाना शुरू किया …

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सिंहासन बत्तीसी की अठारहवीं कहानी – तारामती पुतली की कथा!!

18वीं बार फिर राजा भोज सिंहासन पर बैठने के लिए आगे बढ़ें। उन्होंने सोचा कि इस बार चाहे कुछ भी हो जाए, वो सिंहासन पर बैठकर ही रहेंगे। तभी सिंहासन से 18वीं पुतली तारामती बाहर निकली और राजा भोज को रोकते हुए बोली, “सिंहासन पर बैठने से पहले राजा विक्रमादित्य का यह किस्सा सुनिए।” उसके बाद पुतली तारामती ने कहानी …

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सिंहासन बत्तीसी की 22वीं कहानी – अनुरोधवती पुतली की कथा!!

राजाभोज एक बार फिर सिंहासन की ओर बढ़े और तभी 22वीं पुतली अनुरोधवती वहां पर आ गई। उसने राजाभोज से कहा कि मैं तुम्हें राजा विक्रमादित्य की एक कहानी सुनाऊंगी उसके बाद यह फैसला करना कि आप सिंहासन पर बैठने लायक हो या नहीं। इसके बाद 22वीं पुतली ने कहानी सुनाना शुरू किया। राजा विक्रमादित्य कला प्रेमी थी और अच्छे …

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सिंहासन बत्तीसी की छब्बीसवीं कहानी – मृगनयनी पुतली की कथा!!

पच्चीवीं पुतली के द्वारा राज भोज महाराज विक्रमादित्य के गुणों को जानकर हर्षित हुए और उस स्थान से अपने महल की ओर रवाना हो गए। लेकिन अगल दिन फिर से उन्हें सिंहासन और महाराज विक्रमादित्य के गुणों का आकर्षण खींच लाया। जैसे ही राजा भोज सिंहासन की ओर बढ़े कि छब्बीसवीं पुतली मृगनयनी प्रकट हो गई। उसने राजा भोजा को …

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तेनालीराम और मटके की कहानी!!

एक बार की बात है, किसी कारण से महाराज कृष्णदेव राय तेनालीराम से नाराज हो गए थे। वे उनसे इतना नाराज हो गए थे कि उन्होंने कहा, “पंडित तेनालीरामा, अब आप हमें अपनी शक्ल नहीं दिखाएंगे और अगर आपने हमारे आदेश का पालन नहीं किया, तो हम आपको कोड़े मारने का आदेश देंगे।” महाराज की यह बात सुनकर तेनालीराम वहां …

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तेनालीराम की कहानी: मनपसंद मिठाई!!

तेनालीराम हमेशा जवाब देने के अपने नायाब तरीकों के कारण जाने जाते थे। उनसे कोई भी सवाल पूछा जाए, वह हमेशा एक अलग अंदाज के साथ जवाब देते थे, फिर चाहे वो सवाल उनकी मनपसंद मिठाई का ही क्यों न हो। आइए, जानते हैं कि कैसे तेनालीराम ने अपनी मनपसंद मिठाई के पीछे महाराज कृष्णदेव राय की कसरत करवा दी। …

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मूर्ख राजा और चतुर मंत्री की कहानी!!

कई सालों पहले नदी के किनारे पर एक दियत्स नामक नगरी हुआ करती थी। इस नगरी में शासन करने वाला राजा बहुत ही मुर्ख था। वहीं, राजा का मंत्री बहुत चतुर था। एक दिन शाम के समय राजा और मंत्री दोनों नदी किनारे टहलते हुए शाम का आनंद ले रहे थे। तभी राजा ने मंत्री से एक सवाल पूछा, “क्या …

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राजा और पंडित की कहानी!!

एक समय की बात है, गौंतूर नाम के एक गांव में एक पंडित जी रहा करते थे। उन्होंने एक साहूकार के पास 500 रुपये यह सोचकर जमा करा दिए कि जब उनकी बेटी की शादी होगी, तो ये पैसे उनके काम आएंगे। देखते ही देखते समय निकलता गया और बेटी शादी योग्य हो गई। पंडित जी ने अपनी बेटी के …

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बीमार राजा के इलाज की कहानी!!

सालों पहले कृष्णा राज्य में एक राजा का राज हुआ करता था। वो राजा काफी हट्टा-कट्टा और स्वस्थ था। उसे सबसे ज्यादा कुछ पसंद था, तो वो था खाना। उसे हर दम कुछ-न-कुछ खाने का ही मन करता था। हर दम खाते रहने से उस राजा को मोटापे की परेशानी हो गई। होते-होते मोटापा इतना बढ़ गया कि वो राजा …

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