दान में महत्त्व है त्याग का, वस्तु के मूल्य या संख्या का नहीं। ऐसी त्यागबुद्धि से जो सुपात्र यानी जिस वस्तु का जिसके पास अभाव है, उसे वह वस्तु देना और उसमें किसी प्रकार की कामना न रखना उत्तम दान है। निष्काम भाव से किसी भूखे को भोजन और प्यासे को जल देना सात्त्विक दान है। संत श्रीएकनाथजी की कथा …
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उपदेशप्रद कहानी: सत्य की महिमा
एक सत्यवादी धर्मात्मा राजा थ। उनके नगर में कोई भी साधारण मनुष्य बिक्री करने के लिए बाजार में अन्न, वस्त्र आदि कोई वस्तु लाता और वह वस्तु यदि सायंकाल तक नहीं बिकती तो उसे राजा खरीद लिया करते थे। लोकहित के लिए राजा की यह सत्य प्रतिज्ञा थी। अत: सायंकाल होते ही राजा के सेवक शहर में भ्रमण करते और …
Read More »कृष्णा करो यजमान प्रभु तुम कृष्णा करो यजमान
प्रभु तुम कृष्णा करो यजमान यजमान यजामाआाआअँ * जागी किरता वेदा पकानता सनकी टेडा पुराना प्रभु ट्यूमा कृष्णा करो यजमान प्रभु तुम कृष्णा करो यजमान प्रभु तुम कृष्णा करो यजमान यजमान आआआआआअ * मोर मुकुटा पितांबारा शोबता 2 कुंडला जलाकता गाना प्रभु ट्यूमा कृष्णा करो यजमान प्रभु तुम कृष्णा करो यजमान प्रभु तुम कृष्णा करो यजमान यजमान यजामाआं * मीरा …
Read More »दूर नागरी बड़ी दूर नागरी
कैसे आऊ मे कहणई थोरी गोकुल नागरी सकी संग आऊ कहना, शर्म मोरे लगे अकेली आउठो भूल जाओ डगारी रात को आऊ कहना, दर मोहे लगे दिन को आउठो, देखे सारे नागरी मीयर्रा कहे प्रभु गिरिधर नगर टुमरे दर्श बिन मे होगआई बावरी [To English wish4me] Kaise awoo me Kahnaiyi thori Gokul Nagari Saki sang awoo Kahna, sharm more lage …
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