नैना हुए बाबरे आजा मोरे सॉवरेदरीया कव तक रखोगे मेरे सॉवरे इक दिन की ये खातिर चहू और निहारू,कब आओगे सांवरिया दिन-रात पुकारू,तेरे ही करम से है मुझे बड़ा लाभ रे इस उजड़े चमन में कब फूल खिलेंगे,कब महकेगी कलियां कब हम तुम मिलेंगे,तेरे ही कर्म से ये खिले मेहताब रे जग देता है ताना तुम भूल ना जाना,तेरे प्यार …
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