हम दर पे झुकाने शीश तेरे हर ग्यारस खाटू आते हैं,लेकिन जब वापस जाते हैं नैनो से आंसू बहते हैं,हम दर पे झुकाने शीश तेरे………………… बड़ी दूर दूर से ओ बाबा प्रेमी दरबार में आते हैं,जो जैसी नियत रखते हैं वैसा ही वो ले जाते हैं,तू लखकर देता है बाबा कहलाया लखदातारी है,लेकिन जब वापस जाते हैं नैनो से आंसू …
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