नंद के लाला गिरधर गोपाल गोपालाहे नंद के लाला गिरधर गोपाल गोपालाकितना तू सोणा सोणा लागे मैं वारी जावा बिम्बा के फल जैसे अधर तुम्हारे,मोती से दांत भी लागे मैं सदके जावां, पलके हैं जैसे गुलाबी पखुड़िया,नैन कमल से लागे मैं सदके,,,,,, ध्यान में तेरे मैं खुद को भूली,आनंद नित नित लागे मैं सदके जावां,,,,,,,, ज़रा सामने तो आओ, गोपाल …
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