नटखट-नटखट नन्दकिशोर, माखन खा गयो माखन-चोर।पकड़ो पकड़ो दोड़ो दोड़ो कान्हा भागा जाये,कभी कुंज में कभी कदम पे हाथ नहीं ये आये।।गोकुल की गलियों में मच गया शोर, माखन खा गयो माखन-चोर,नटखट-नटखट नन्दकिशोर, माखन खा गयो माखन-चोर ॥ संग में सखांओ की टोली बड़ी, माखन चुराने की आदत पड़ी,ऊँची मटकिया में माखन दरों, आँगन में माखन बिखरो पड़ो,हाथ नहीं आए झपट …
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