निर्बल निर्धन बिप्र सो दीन,बसत निज कुटिया ब्राह्मिन ग्रामा,विषय विरक्त ज्ञानी पर ब्रह्म,दीक्षा अरु भिक्षा दैनिक कामा हरि पद पंकज अबिरल भक्ति,सदैव जपत हरि पावन नामा,सचराचर करत भगवद् दरसन,शांत चित्त कृष्ण सखा् सुदामा पति परायणा सुशील तेहिं घरनी,बिनवति इक दिन नाथ सुदामा,कृष्ण सखा संग शिक्षा लीन्हो,अवंतिपुर संदीपनी गुरुग्रामा द्वारिका जाये नाथ दारिद्य हरिहैं,द्वारिकाधीश लोचन अभिरामा,लायि उधार पाव सेर चाउर,गणपति सुमिरि …
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