पाती लेके श्याम की,उद्धव जी गए आय,पाती राधा के तुरंत,दीन्हीं हाथ थमाय। पाती पढ़ के राधा के यूँ,पाती पढ़ के राधा के यूँ,बरसे ऐसे नैन, के मानो,यमुना में बाढ़ आ गई,यमुना में बाढ आ गई। पढ़कर के पाती राधा रोई,नैनन की निंदिया हाय खोई,बोली मन मोहन के जैसा मैने,हरज़ाई देखा नहीं कोई,परसों की कह के बरसों बीते,कर डाला बेचैन, के …
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