प्रथम भगति संतन्ह कर संगा । दूसरि रति मम कथा प्रसंगा ॥ गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान।पंचम भजन सो बेद प्रकासा ॥ चौथि भगति मम गुन गन करइ कपट तजि गान ॥मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा । छठ दम सील बिरति बहु करमा । निरत निरंतर सज्जन धरमा ॥ सातवँ सम मोहि मय जग देखा । मोतें संत …
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