कैसी शोभी बानी आज मेरे यार की, भानु की दुलारी, नन्द के कुमार की । कोई तुलना नहीं है मेरी सरकार की ॥ अति मतवारे नयन मेरे युगल के, करुणा की धारा या सों छल छल छलके । मैं वारि वरि जाऊं कजरे के धार की, कोई तुलना नहीं है मेरी सरकार की ॥ लाड़ली की साडी लाल, काछनी है …
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राधा – भाव
राधा भाव में उपासक और उपास्य में प्रेमाधिक्य के कारण एकरूपता हो जाती है । यही कारण था कि भगवान श्रीकृष्ण राधा जी हो जाते थे और श्रीराधा श्रीकृष्ण बन जाती थीं ।इस प्रकार का परिवर्तन परम स्वाभाविक है । उदाहरणस्वरूप गर्गसंहिता का यह श्लोक है – श्रीकृष्ण कृष्णेति गिरा वदन्त्य: श्रीकृष्णपादाम्बूजलग्नमानसा: । श्रीकृष्णरूपास्तु बभूवुरंगना – श्र्चित्रं न पेशस्कृतमेत्य कीटवत् …
Read More »राधिका गोरी से, बिराज की छ्होरी से
राधिका गोरी से, बिराज की छ्होरी से, मैया करा दे मेरो ब्याह, जो नही ब्याह करवे, तेरी गैया नही चराऔ, आज के बाद मोरी मैया, तेरी देहली पर ना अओ, जो नही ब्याह करवे, तेरी गैया नही चराऔ, आज के बाद मोरी मैया, तेरी देहली पर ना अओ, आएगा रे मज़ारे मज़ा, आएगा रे मज़ारे मज़ा, अब जीत हार का, …
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