गणपति गोरी जी के नंदन गणेश जी, मैं शरण तुम्हारी आया हूँ , मेरी रक्षा करो हमेश जी । सबसे पहले तुम्हे धयाऊँ , फिर देवों के दर्शन पाऊं । गज बदन मूसे की सवारी, गजब तुम्हारा भेस जी ॥ तुम हो रिद्धि-सिद्धि के दाता, तुम बिन ज्ञान कोई न पाता । हे गजानन विश्व विधाता, मन में करो प्रवेश …
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