मोहन को संग में लिवा ले चलो,रलमिल के पनिया भरन को चलो….. यमुना तट पर रास रचेगा एक सखी यों बोली,रलमिल सब बारी बारी खेले आँख मिचौली,चिकना है घात संभल के चलो,रलमिल के पनिया……… श्याम तुम्हे हम यमुना तट पर मलमल खूब नहलाएँ,मोर मुकुट और बाँसुरी देकर तुमको खूभ रिझाएँ,काली कमलिया उठा ले चलो,रलमिल के पनिया…….. किया मशविरा सब सखियों …
Read More »