रूठी रूठी हो क्यों हमसे मेरी जान राधातेरे प्यार के बिना है तेरा श्याम आधा ,करता करता है तू मुरली से प्यार ज्यादारूठे इस लिए तेरी जान राधा क्यों मुरली के उपर अपना पल पल हाथ फिरावेमुझे छोड़ कर क्यों मुरली को होठो से चिप कावे,तोड़ी तोड़ी है कन्हिया तूने मर्यादारूठे इस लिए तेरी जान राधा|| गलत सोच के कारन …
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