सब से ऊँची प्रेम सगाई दुर्योधन की मेवा त्यागी, साग विदुर घर पाई जूते फल सबरी के खाए, बहू विधि प्रेम बधाई प्रेम के बस नृिप सेवा कीन्ई, आप बने हरी नाई राजसूया यगना युधिष्ठिर कीनो, तामे जूत उठाई प्रेम के बस अर्जुन रात हांकयो भूल गये ठाकुरई ऐसी प्रीति बढ़ी, वृंडाबन गोपीन नाच नाचाई सूर बानी एही लायक नाहीं, …
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आओ, कृष्ण कन्हैया, हमारे घर आओ
आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई जो चाहो सो खाओ आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई रुचि रुचि भोग लगाओ आप भी आओ सब गोपियन को लाओ मेरे आँगन में तुम रास रचाओ आँगन में मेरे तुम रास रचाओ आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ माखन मिसरी दूध मलाई जो चाहो सो …
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