तेरे दर्शन को मोहन, तेरा दस तरसता है जानम मो से जानम लेकर, मे हार गया मोहन दर्शन बिन व्यर्थ हुवा, हर भार मेरा जीवन क्या खेल सजाया है, मोहोरो की तारा हुमको क्या खूब नचाया है, खत पुतली सा हुमको ई खेल तेरे प्यारे, बस तूही समजता है यह दिल पुकारता है, एक भर चले आऊ दर्शन देखार प्यारे, …
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