सखी री छैल बिहारी से निगोड़ी लड़ गयी अँखियाँ सखी री छैल बिहारी से,निगोड़ी लड़ गयी अँखियाँ,मनाई लाख ना मानी,छिछोरी लड़ गयी अँखियाँ,सखी री छैल ……… निरखि सखी रूप मोहन का,दमकती रह गयी अँखियाँ,श्याम मिलि श्यामल बन जाऊं,तरसती रह गयी अँखियाँ,सखी री छैल…….. वह छैला कर गया जादू,कि तकती रह गयी अँखियाँ,चलाई बान नैनन से,जिगर में गड़ गयी अँखियाँ,सखी री …
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