खाटू के कण कण में,बसेरा करता साँवरा,जाने कैसा वेश बनाए,हर गली में आया जाया,करता साँवरा,सांवरा तुझमे साँवरा,साँवरा मुझ में सांवरा,सांवरा सब में साँवरा। -2 रींगस से खाटू नगरी तक,पैदल चलते लोग,पीठ के बल, कोई पेट के बल,लेट के चलते लोग,कदम मिला भगतों के संग में,चलता साँवरा -2जाने कैसा वेश बनाए,हर गली में आया जाया,सांवरा तुझमे साँवरा,साँवरा मुझ में सांवरा,सांवरा सब …
Read More »