शरण में तुम्हारी हम आये मुरारी,प्रभु दिन दुखियो के रकच्छक तुम्ही हो,दया हमपे करदो मैं हु भिखारी, पंछी को डाल से कुछभी प्यारा नही,पिंजड़ा सोने का हो फिर भी गवारा नही,वही हाल मेरा चरण राज हु तेरा,चरण में ही रखलो है बिनती हमारी, कितनी आंधी चली कितने तूफा सहे,पर किसी से कभी कुछ ना मन की कहे,सिवा तेरे दुनिया मे …
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