ये जाग दुख का मेला है चाहे बीड़ बहुत अंबार पर उड़ाना टुजे अकेला है ||1|| चतुर शिकारी ने रखा है जाल बिछाकर पग पग पर फस मत जाना भोल से पगले पछताएगा जीवन बार ||2|| लोग मे धने की मत पड़ना बड़े समय केला है चाहे बीड़ बहुत अंबार पर उड़ाना टुजे अकेला है ||3|| जब तक सूरज आसमान …
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