॥‘ साईं का दीवाना मन हमारा ‘॥ ॐ साईं राम ’ ’ शिर्डी वाले तू ओ , शिर्डी वाले , शिर्फ़ इतना मुझे दान देदे, अपने चरणों मई स्थान देदे . सच है क्या जूठ क्या है अभी तक , जान ता ही नहीं मन यह मेरा , हर तरफ दिल में छाया हुआ है , अज्ञान का यह अँधेरा …
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गुरु का स्थान
एक राजा था. उसे पढने लिखने का बहुत शौक था. एक बार उसने मंत्री-परिषद् के माध्यम से अपने लिए एक शिक्षक कीव्यवस्था की. शिक्षक राजा को पढ़ाने के लिए आने लगा. राजा को शिक्षा ग्रहण करते हुए कई महीने बीत गए, मगर राजा को कोई लाभ नहीं हुआ. गुरु तो रोज खूब मेहनत करता थे परन्तु राजा को उस शिक्षा …
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