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भगवान शिव का भिक्षुवर्यावतार

krshnadarshan - bhagavaan shiv ke avataar

विदर्भ देश में एक सत्यरथ नाम से प्रसिद्ध राजा थे । धर्मपूर्वक प्रजा का पालन करते हुए उनका बहुत सा समय सुखपूर्वक बीत गया । तदंनतर एक दिन शाल्व देश के राजा ने उनकी राजधानीपर आक्रमण कर दिया । शत्रुओं के साथ युद्ध करते हुए राजा सत्यरथ की सेना नष्ट हो गयी । फिल दैवयोग से राजा भी शत्रुओं के …

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श्रीभरत जी के विशेषतर धर्म से शिक्षा

Bhagat Ka Adbhut Avdaan

भगवत धर्म अर्थात् भगवत सेवा (श्रीराम भक्ति) ही श्रीभरत जी की भी इष्ट – चर्या थी । यथा – साधन सिद्धि राम पग नेहू । मोहि लखि परत भरत मत एहू ।। परंतु इतना अंतर था कि श्रीलखनलाल की सेवा संयोगवस्था संबंधी अर्थात् भजनरूप की थी । उनको स्वामी की सन्निधि में – हुजूरी में सेवा वियोगावस्थासंबंधी अर्थात् स्मरणरूप की …

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कलियुग का पुनीत प्रताप

shankar

कलियुग का एक पुनीत (पवित्र) प्रताप यह है कि इसमें मानसिक पुण्य तो फलदायी होते हैं, परंतु मानसिक पापों का फल नहीं होता । ‘पुनीत प्रताप’ इसलिए कहा गया है कि जिस प्रकार सत्ययुग, त्रेता और द्वापर में मानसिक पापों के भी फल जीवों को भोगने पड़ते थे उस प्रकार कलियुग में नहीं होता । यहीं कलि की एक विशेषता …

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राधा – भाव

Suni Kanha Teri Bansuri

राधा भाव में उपासक और उपास्य में प्रेमाधिक्य के कारण एकरूपता हो जाती है । यही कारण था कि भगवान श्रीकृष्ण राधा जी हो जाते थे और श्रीराधा श्रीकृष्ण बन जाती थीं ।इस प्रकार का परिवर्तन परम स्वाभाविक है । उदाहरणस्वरूप गर्गसंहिता का यह श्लोक है – श्रीकृष्ण कृष्णेति गिरा वदन्त्य: श्रीकृष्णपादाम्बूजलग्नमानसा: । श्रीकृष्णरूपास्तु बभूवुरंगना – श्र्चित्रं न पेशस्कृतमेत्य कीटवत् …

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सीता शुकी संवाद

Mata Sita Ke svemver Ki katha

एक दिन परम सुंदरी सीता जी सखियों के साथ उद्यान में खेल रही थीं । वहां उन्हें शुक पक्षी का एक जोड़ा दिखायी दिया जो बड़ा मनोरम था । वे दोनों पक्षी एक डाली पर बैठकर इस प्रकार बोल रहे थे – ‘पृथ्वी पर श्रीराम नाम से प्रसिद्ध एक बड़े सुंदर राजा होंगे । उनकी महारानी सीता के नाम से …

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भक्त का अद्भुत अवदान

bhakt ka adbhut avadaan

कीच से जैसे कमल उत्पन्न होताहै, वैसे ही असुर – जाति में भी कुछ भक्त उत्पन्न हो जाते हैं । भक्तराज प्रह्लाद का नाम प्रसिद्ध है । गयासुर भी इसी कोटी का भक्त था । बचपन से ही गय का हृदय भगवान विष्णु के प्रेम में ओतप्रोत रहता था । उसके मुख से प्रतिक्षण भगवान के नाम का उच्चारण होता …

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दो मित्र भक्त (Two friends devotee)

Two friends devotee

कुरुक्षेत्र में दो मित्र थे – एक ब्राह्मण और दूसरा क्षत्रिय । ब्राह्मण का नाम पुण्डरीक और क्षत्रिय का अंबरीष । दोनों में गाढ़ी मित्रता थी । खाना पीना, टहलना सोना एक ही साथ होता था । जवान उम्र में पैसे पास हो और कोई देख – रेख करने वाला न हो तो मनुष्य को बिगड़ते देर नहीं लगती । …

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कर्तव्यपरायणता का अद्भुत आदर्श

Jai Lakshmi Ramana Jai Lakshmi Ramana

प्राचीन काल में सर्वसमृद्धिपूर्ण वर्धमान नगर में रूपसेन नाम का एक धर्मात्मा राजा था । एक दिन उसके दरबार में वीरवर नाम का एक गुणी व्यक्ति अपनी पत्नी, कन्या एवं पुत्र के साथ वृत्ति के लिए उपस्थित हुआ । राजा ने उसकी विनयपूर्ण बातों को सुनकर प्रतिदिन एक सहस्त्र स्वर्णमुद्रा का वेतन नियत कर सिंहद्वार के रक्षक के रूप में …

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करणीमाता का मंदिर, राजस्थान

Karni Mata Ka Mandir

मां करणी देवी का विख्यात मंदिर राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गांव देशनोक की सीमा में स्थित है। यह भी एक तीरथ धाम है, लेकिन इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी देश और दुनिया के लोग जानते हैं। अनेक श्रद्धालुओं का मत है कि करणी देवी साक्षात मां जगदम्बा की अवतार थीं। …

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उगादि

happy-ugadi

हिंदू नवसंवत्सर यानी चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को हम कई नामों से जानते हैं। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तो दक्षिण भारत में उगादि (युगादि) के रुप में नये साल का स्वागत करते हैं । उगादि को युगादि, इसलिए भी कहते हैं क्योंकि यह युग+आदि से मिलकर बना है । युगादि का अर्थ युग का प्रारंभ होता है । उगादि …

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