बात उस समय की बात है, जब देश अंग्रेजों का गुलाम था। तब एक बार पंडित मदन मोहन मालवीय को मुकदमे के सिलसिले में एक मौलवी ने अपना वकील बनाया। मुकदमे में कुछ अरबी पुस्तकों से न्यायालय के फैसलों के उद्धरण देने थे जिन्हें मालवीय जी ने अपने हाथ से नागरी लिपि में लिख लिया था। अदालत में विरोधी पक्ष …
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