तेरा रूप सजा के नैयन में बेठी हूँ वृंदावन मेंलट प्रीत की एसी लागी तुझे ढूंड रही कण कण,इक पग में राह निहारे तेरी श्याम सेकोई जाके केह दे निर्मोही घनश्याम से, तेरे बिन कुछ न भावे पल पल तेरी याद सतावेदिल वेचैनी में धडके शिंगार बी रास न आवेसब लोग मारे है ताना अपना भी लागे है बेगानाबस एसी …
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