ज्योति पुंज एक, गगन से, चला, धरा की ओर,छाया था यहॉँ, पाप का, अंधकार घणकोर lऋषि मुनि, जप तप कर जिन्हे, थके पुकार पुकार,दुष्ट दमन को, ले रहे, व्ही, विष्णु अवतार ll तेरी माया का न, पाया कोई पारकि, लीला तेरी, तूँ ही जाने l*तूँ ही जाने ओ श्यामा, तूँ ही जाने lहो,,, सारी दुनियाँ के, सिरजनहार कि, लीला तेरी, …
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