मेरे तकदीर की लक़ीर नहीं टलती है,तू ही बतला दे मेरे श्याम कहाँ गलती है,सबकी बदली हमारी क्यों नहीं बदलती है,तू ही बतला दे मेरी श्याम कहाँ गलती है, मैंने एक बार नहीं बार बार रोया है,पाने की उमर में अपनों का प्यार खोया है,ग़मों की धुप में खुशियों की शाम ढलती है,तू ही बतला दे मेरी श्याम कहाँ गलती …
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