तुम ढून्ड़ो मुझे गोपाल मैं खोई गईयाँ तेरीसुध लो मोरी गोपाल मैं खोई गईयाँ तेरी पांच विकार से हां की जाएपांच तत्व की ये देही,पर्वत भटकी दूर कही मैं चैन न पाऊ अब के हीये कैसा माया जाल मैं उल्जी गइया तेरीसुध लो मोरी गोपाल मैं खोई गईयाँ तेरी यमुना तट न नन्दनं वन न गोपी ग्वाल कोई दिखेकुसम लता …
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