दोहा: मांग मांग इंसान की, तमन्ना पूरी होए | साईं जी के द्वार से खाली गया न कोय || तेरे दरबार पे दामन यह फैला रखा है | इक तेरे आस पे दुनिया को भुला रखा है || मेरी बिगड़ी हुई तकदीर सवारी तूने | मेरी डूबी हुई कश्ती भी उभारी तूने || तेरी उठी को तभी माथे लगा रखा …
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