छान्दोग्योपनिषद् में वर्णित हैं कि – तद्धैतद घोर अांगिरस: कृष्णाय देवकीपुत्रायोक्त्वोवाचाऽपिपास एव स बभूव, सोऽन्तवेलायामेतत्त्रयं प्रतिपद्येतात्रितमस्यच्युतमसि प्राणास शितमसीति । अर्थात् देवकीपुत्र श्रीकृष्ण के लिए आंगिरस घोर ऋषि ने शिक्षा दी कि जब मनुष्य का अंत समय आये तो उसे इन तीन वाक्यों का उच्चारण करना चाहिए – (1) त्वं अक्षितमसि – ईश्वर ! आप अविनश्वर हैं (2) त्वं अच्युतमसि – …
Read More »